संजय लीला भंसाली 20 साल से कर रहे हैं ‘बैजू बावरा’ की कहानी पर काम

20 साल से संजय लीला भंसाली के दिमाग में हैं 'बैजू बावरा' की कहानी

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दूरदर्शी फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली एक ऐसे फिल्म मेकर हैं जो पूरे जुनून के साथ अपने हर प्रोजेक्ट को अंजाम देते हैं ताकि दर्शकों को ऐसा अनुभव मिले, जैसा पहले उन्होंने कभी नहीं किया हो। संजय लीला भंसाली सिनेमा के उन महान लोगों के बीच शुमार हैं जो भारतीय सिनेमा के ताने-बाने के अभिन्न अंग रहे हैं। फिल्ममेकर अपनी बड़ी और शानदार फिल्मों के लिए भी सुपर फेमस हैं। लेकिन वो एक ऐसे फिल्म भी निर्देशक हैं जो अपनी किसी भी फिल्म को सिल्वर स्क्रीन्स पर उतारने से पहले सालों तक उसपर काम करने में यकीन रखते हैं। दिलचस्प बात यह है कि उनका अगला प्रोजेक्ट ‘बैजू बावरा’ भी पिछले दो दशकों से उनके दिमाग में है, जिससे यह एक लंबे समय से संजोया गया सपना बन गया है जो आखिरकार अब साकार हो रहा है।

संजय लीला भंसाली का आखिरी प्रोजेक्ट जिसे उन्होंने इतने लंबे समय तक अपने दिमाग में रखा था, वो “बाजीराव मस्तानी” थी, एक ऐतिहासिक फिल्म जिसे उन्होंने अपनी रोमांटिक क्लासिक “हम दिल दे चुके सनम” के ठीक बाद बनाने की कल्पना की थी। तथ्य यह है कि भंसाली के रचनात्मक विचार इतनी लंबे समय में विकसित हो सकते हैं जोकि यह उनके शिल्प के प्रति उनकी कमिटमेंट और डेडिकेशन का एक सबूत है।

अब, 20 साल के सोच-विचार और सावधानीपूर्वक योजना के बाद, संजय लीला भंसाली “बैजू बावरा” को जीवंत करने के लिए तैयार हैं। उन्होंने इन सालों में फिल्म की हर छोटी से छोटी डिटेल पर पूरा ध्यान लगाकर काम किया है, ये सबजेक्ट भी उनके दिमाग में दृढ़ता के साथ बना रहा है, जो इसके प्रभाव और महत्व की गवाही देता है।

जबकि फिल्म से जुड़ी हर खास डिटेल को अभी सीक्रेट रखा गया है, कहा जाता है कि भंसाली की विविध फिल्मोग्राफी में एक और आयाम जोड़ते हुए यह दो सिंगर्स के आसपास घूमने वाली एक पूरी तरह से म्यूजिकल फिल्म की शुरुआत होगी। वहीं प्रशंसक और इंडस्ट्री के अंदरूनी सूत्र समान रूप से इस फिल्म को लेकर तरह तरह के अनुमान लगाते रहे हैं।

इसके अलावा “बैजू बावरा” की कास्टिंग को लेकर ऐसी अफवाहें सामने आ रही है कि फिल्म में पॉपुलर एक्टर रणवीर सिंह और आलिया भट्ट नजर आएंगे। फिल्म के लिए इन अफवाहों और प्रत्याशा को देखते हुए कह सकते है कि यह संजय लीला भंसाली के अब तक के सबसे महत्वाकांक्षी वेंचर्स में से एक के रूप में उभरा है। ऐसे में विस्तार पर उनके ध्यान और शानदार फिल्म बनाने की उनकी क्षमता के साथ, दर्शक एसएलबी बैनर से सिनेमाई चमत्कार से कम की उम्मीद नहीं कर सकते। भारतीय फिल्म मेकिंग की विरासत को संरक्षित करने के लिए एसएलबी के समर्पण ने उन्हें राज कपूर, के आसिफ, महबूब खान, वी शांताराम, गुरु दत्त और कमाल अमरोही जैसे दिग्गज निर्देशकों के बीच जगह दी है। संजय लीला भंसाली असल रूप से भारतीय फिल्म विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं, जो आत्मा को छूने वाली टाइमलेस कहानियों को एक साथ बुनते हैं।

जबकि प्रशंसक इससे जुड़ी अधिक जानकारी का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, यह साफ है कि “बैजू बावरा” भारतीय सिनेमा की सबसे अहम फिल्मों में से एक होने का वादा करती है। संजय लीला भंसाली की यह परियोजना जिसपर वो 20 सालों से काम कर रहें है आखिरकार अपने कलात्मक प्रतिभा और स्टोरीटेलिंग की ताकत के साथ दर्शकों को दीवाना करने की राह पर है।

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